मुक्तक

बिकता है देखो न्याय जहाँ , ऐसे यह न्यायालय हैं  |
सत्ता के गलियारे देखो , बने आज वैश्यालय हैं  |
ओहदों को लेकर घूम रहें वो  , चम् -चम् करती कारों में ,
मंत्रियों के राज महल बन गये , चोरों  के मुख्यालय हैं  |

टिप्पणियाँ

  1. बिकता है देखो न्याय जहाँ , ऐसे यह न्यायालय हैं |
    सत्ता के गलियारे देखो , बने आज वैश्यालय हैं |
    ओहदों को लेकर घूम रहें वो , चम् -चम् करती कारों में ,
    मंत्रियों के राज महल बन गये , चोरों के मुख्यालय हैं |
    .....wow...vaah...vah bahut sundar rachna.bilkul sahi chitra.

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  2. चोरों के मुख्यालय हैं |


    achi line he

    शानदार व्यंग्य

    BADHAI IS KE LIYE AAP KO

    SHAKHE KUMAWAT

    http://kavyawani.blogspot.com/

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  3. नितांत सत्य कहा है आपने

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  4. बहुत तेज व्यंग्य है

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  5. इस देश में ऐसा ही है

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