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मुक्तक

सत्ता के लोलुप लोगों के , क्या विचार हैं आप देखिये | मर्यादाओं का चीर हरण ,करते यह तार तार देखिये |           कौन भला है ,कौन बुरा है ,सब तो हैं चट्टे - बट्टे , भाई को भाई से मरवाने ,का करते व्यापार देखिये ||

मुक्तक

आदमी को आदमी से , प्यार होना चाहिए | हर भवन की नींव का , आधार होना चाहिए |       जिंदगी के सुख - दुःख , बाँट ले हम साथ मिल , दोस्ती हो या दुश्मनी हो , भरपूर होना चाहिए ||

गज़ल

आप मुझसे क्यों हैं रूठें , क्या खता है हो गयी |     बिन बताये ही मुझे वह , क्यों सजा है दे गयी | आप यदि कहते मुझे तो , एक पग पर नाचता ,, पर बेरुखी यह इस तरह , बेबफा क्यों हो गयी | चाँद - सूरज और तारे , रख दूँ तेरे हाथ पर मैं ,, पर बता तू इस तरह ,मुझसे जुदा क्यों हो गयी | संसार की हर चीज़ मैंने , ला रखी तेरे सामने ,, पंकज बता फिर वह मुझे ,क्यों दगा है दे गयी |