मुक्तक
सत्ता के लोलुप लोगों के , क्या विचार हैं आप देखिये | मर्यादाओं का चीर हरण ,करते यह तार तार देखिये | कौन भला है ,कौन बुरा है ,सब तो हैं चट्टे - बट्टे , भाई को भाई से मरवाने ,का करते व्यापार देखिये ||
सागर सी गहराई हो
पर्वत सी ऊँचाई हो
रोम - रोम में खुशहाली हो
हर दिल में सच्चाई हो