संकल्प

      अनगिनत सितारें लाख चमकें , तम वक्ष चीर सकते नहीं हैं  |
          भले ही बिछे हों शूल पथ में , शूल पथ रोक सकते नहीं हैं  |
                 हौसलों  को पस्त न करना , हिमालय तक चले जाओ ,,
                     समर्पण तुम्हारा अगर सत्य है , तो मंजिलें तुम्हे रोक सकती नहीं हैं  |

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