जिन्दगी
कभी आग का शोला बन ,दहकती है जिन्दगी |
कभी किसी का प्यार बन , भटकती है जिन्दगी |
जब - जब सींची गयी, यह श्रम के लहू से ,,
तब उजड़े हुए चमन में , महकती है जिन्दगी ||
कभी किसी का प्यार बन , भटकती है जिन्दगी |
जब - जब सींची गयी, यह श्रम के लहू से ,,
तब उजड़े हुए चमन में , महकती है जिन्दगी ||
nice poem
जवाब देंहटाएंजिन्दगी का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है
जवाब देंहटाएंजिन्दगी ऐसी ही होती है | जिन्दगी के लाखों रूप हैं |
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया , बहुत खूब
जवाब देंहटाएं