जिन्दगी

कभी आग का शोला बन ,दहकती है जिन्दगी  |
कभी किसी का प्यार बन , भटकती है जिन्दगी  |
जब - जब सींची गयी, यह श्रम  के  लहू  से  ,,
तब उजड़े हुए चमन में , महकती है जिन्दगी  ||

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