सावधान !


सावधान ! उनसे रहो , जो बोलें मधु सम बोल  |
विश्वास पात्र होते नहीं ,  भेद न उनसे  खोल  ||

टिप्पणियाँ

  1. आदेश भाई,
    आपने जो ये दो पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं,
    ये किसी "दोहा" के अवयव न होकर
    किसी मुक्तक के ही भाग हैं!
    --
    दोहा में (13,11) मात्राओं से युक्त
    दो-दो भागों से युक्त दो पंक्तियाँ होती हैं!
    जैसे --
    सूर सूर, तुलसी ससी; अडुगन केशवदास।
    अबके कवि खद्योत सम, जहँ-तहँ करत प्रकास।।
    --
    सूर सूर, तुलसी ससी (13 मात्राएँ)
    अडुगन केशवदास (11 मात्राएँ)
    अबके कवि खद्योत सम (13 मात्राएँ)
    जहँ-तहँ करत प्रकास (11 मात्राएँ)
    --
    अब ज़रा निम्नांकित लिंक्स पर भी जाकर देख लीजिए –
    बिना गणित के देखिए : उड़न तश्तरी
    और
    दोहा लिखिए : वार्तालाप

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  2. प्रिय रावेन्द्र रवि ,
    मार्ग -दर्शन के लिए धन्यवाद | आपका मार्ग दर्शन ही हमारा साहस है |

    जवाब देंहटाएं

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