आदेश भाई, आपने जो ये दो पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं, ये किसी "दोहा" के अवयव न होकर किसी मुक्तक के ही भाग हैं! -- दोहा में (13,11) मात्राओं से युक्त दो-दो भागों से युक्त दो पंक्तियाँ होती हैं! जैसे -- सूर सूर, तुलसी ससी; अडुगन केशवदास। अबके कवि खद्योत सम, जहँ-तहँ करत प्रकास।। -- सूर सूर, तुलसी ससी (13 मात्राएँ) अडुगन केशवदास (11 मात्राएँ) अबके कवि खद्योत सम (13 मात्राएँ) जहँ-तहँ करत प्रकास (11 मात्राएँ) -- अब ज़रा निम्नांकित लिंक्स पर भी जाकर देख लीजिए – बिना गणित के देखिए : उड़न तश्तरी और दोहा लिखिए : वार्तालाप
तू पथ पर अपने चलता चल | मंजिल को पास बुलाता चल | सभी समस्याओं का मिलकर , बात -चीत से निकले हल | कैसी भी हो आग भयानक , कर सकते हो तुम शीतल | मंदिर हो या गुरुद्वारा हो , शीश झुका दें गंगा जल | चंदा -तारों से हम सीखें , कैसे रहते हैं यह हिलमिल | निश्वार्थ भाव से नदिया कैसे , कल-कल कर बहती अविरल | भेद न करती भारत माँ है , सब पर फैलाये अपना आँचल | पंकज द्वैष-भावना त्यागो , जीवन बन जायेगा परिमल |
प्राणी ऐसा जगत में , जन्म न लिया कोय | होवे पूरा सदगुणी , अवगुण एक न होय || पंकज विपदा साथ दे , उसको अपना मान | जस सुनार घिस- घिस करे ,सोने की पहचान ||
इज्म की बैसाखियों से ,चाँद पाया आपने | संदिग्ध मेघों के सहारे ,रवि छिपाया आपने | क्षणिक है आनंद तेरा ,तुम यह न भूलो ,, शेष कुछ भी न बचेगा ,तूफां आने की देर है |
आदेश भाई,
जवाब देंहटाएंआपने जो ये दो पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं,
ये किसी "दोहा" के अवयव न होकर
किसी मुक्तक के ही भाग हैं!
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दोहा में (13,11) मात्राओं से युक्त
दो-दो भागों से युक्त दो पंक्तियाँ होती हैं!
जैसे --
सूर सूर, तुलसी ससी; अडुगन केशवदास।
अबके कवि खद्योत सम, जहँ-तहँ करत प्रकास।।
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सूर सूर, तुलसी ससी (13 मात्राएँ)
अडुगन केशवदास (11 मात्राएँ)
अबके कवि खद्योत सम (13 मात्राएँ)
जहँ-तहँ करत प्रकास (11 मात्राएँ)
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अब ज़रा निम्नांकित लिंक्स पर भी जाकर देख लीजिए –
बिना गणित के देखिए : उड़न तश्तरी
और
दोहा लिखिए : वार्तालाप
धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअब आपने इसे कविता का लेबल प्रदान कर दिया है!
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रंग-रँगीला जोकर
माँग नहीं सकता न, प्यारे-प्यारे, मस्त नज़ारे!
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संपादक : सरस पायस
प्रिय रावेन्द्र रवि ,
जवाब देंहटाएंमार्ग -दर्शन के लिए धन्यवाद | आपका मार्ग दर्शन ही हमारा साहस है |