मुक्तक

शूल मेरा क्या करेंगे , जब शूल पथ मैंने लिया है  |
सिन्धु मंथन जब हुआ , सारा गरल मैंने पिया है  |
तोप के सम्मुख , वक्ष - ताने हम  खड़े  हैं   ,
जीभ मेरी जल न पाती , आग का भोजन किया है  |      

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