दोहा

धनी  हुआ तो क्या हुआ  , जो करे  न कौड़ी दान   |
जीवन उसका व्यर्थ है  , जो जीता बिन सम्मान  ||
जग की चिंता न करे , लक्ष्य , जो पाना होय  |
पथ में भूकें श्वान से  , पथ नहिं बाधित होय  ||
भाग्य सहारे बैठकर , मत  छोड़े  तू  आस  |
बुद्धि ,शक्ति ,ज्ञान- बल , सब कुछ तेरे पास  ||
पंकज परिवर्तन देखकर  , काहे चित्त अधीर  |
लाभ - हानि के सोच में , मुद्रा क्यों गम्भीर  ||

टिप्पणियाँ

  1. वाह..!!
    आप तो बहुत ही बढ़िया दोहा लिखते हैं..
    बधाई है आपको..

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  2. wow !!!!!!!!


    gajab ki kundli likhi he aap ne
    http://kavyawani.blogspot.com/

    shekhar kumawat

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  3. বহুত সুন্দের দহে হেন
    কফি প্রাভাহ্শালী হেন আপকে দহে
    আইসে হি দহে অর লিখিয়ে
    ধান্যাভাদ পঙ্কজ জি
    সুস্মিতা বানার্জী সুষমা

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  4. बहुत खूब कबीर दास जी
    आपको सुंदर दोहों के लिए लाखों बधाइयाँ
    ऐसे दोहे लिखते रहिये पंकज जी
    अल्लाह आपको और लिखने की सदबुद्धि दे
    मैं आपके लिए अल्लाह से यही दुआ करता हूँ

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  5. बहुत सुंदर दोहे हैं
    ऐसे ही दोहे और पोस्ट कीजिये

    जवाब देंहटाएं
  6. आपने कमाल कर दिया पंकज जी
    कमाल के दोहे लिखे हैं

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  7. सभी मित्रों और शुभ -चिंतको को मनोबल बढाने के लिए कोटि -कोटि धन्यवाद

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