मुक्तक : आदेश कुमार पंकज

सूरज , चाँद , सितारों के , द्वारे पर तम् के पहरे हैं ।
अनगिनत घाव दे मत पूछो , कि वे कितने गहरे हैं ।
चप्पे - चप्पे पर खड़े हुये, है घेरा बना लुटेरों का ,,
कौन करे विश्ववास द्रोण पर , जब कौरव के घर ठहरें हैं ।

टिप्पणियाँ

  1. अच्छे भाव की पंक्तियाँ हैं पंकज जी। मैं भी जोड़ दूँ-

    किसे सुनाते बात यहाँ पर शासक ही तो बहरे हैं।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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