आदेश कुमार पंकज : ओ वृन्दावन वनवारी

ओ वृन्दावन वनवारी , सुन लो अरज हमारी ।
द्वारे तेरे आया हूँ मोर मुकुट गिरधारी । ।
ओ वृन्दावन वनवारी ...........................
गोपिन के संग रास रचायो , काली दह में नाग नथायो ।
वृज ग्वालन संग धेनु चरायो बनकर माधव गिरधारी ॥
ओ वृन्दावन वनवारी ................................................
यमुना तट पे बंसी बजाई , माखन मिसरी दधी चुराई ।
उँगली पर वृज नगरी बचाई बनकर गोवर्धन धारी ॥
ओ वृन्दावन वनवारी ...........................................
भक्तों ने जब तुझे बुलाया , नंगे पैरों दौड़ा आया ।
द्रोपदी का चीर बढाया बनकर के दीनन हरी ॥
ओ वृन्दावन वनवारी ........................................
जब दीन सुदामा द्वारे आया , सरपट तूने गले लगाया ।
गुरु भाई का वचन निभाया बनकर मदन मुरारी ॥
ओ वृन्दावन वनवारी ...................................
नन्द बाबा का प्यारा छैया , लाला कहती जसुमति मैया ।
राधा जी का कृष्ण कन्हैया पंकज आया शरण तुम्हारी ॥
ओ वृन्दावन वनवारी ..............................................

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