गीत :आदेश कुमार पंकज

अनुपम धरा के उठो तुम सपूतों ,
खिलो और खिलाओ अपने चमन को
लम्हाँ हर लम्हाँ खुशियाँ मिलें ,
भारत का जन -जन फूले फले
रहे भाल ऊँचा सदा
तीर सहकर भी तुम सदा ,
यहाँ हँसतें रहो
वैभव बड़े सदा ही तुम्हारा ,
श्यामलता झाँके आँगन तुम्हारा
सहसा मिले यदि कोई तुम्हें ,
मान उसको देना सदा ,
जयकार होगी तुम्हारी सदा

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