आदेश कुमार पंकज की कविता - मछलियाँ
मछलियाँ , भयभीत हैं ।
घुटन सी महसूस करती हैं ।
जलाशय में कुछ
मगरमच्छ घुस आयें हैं ।
मछलियाँ , उठा लेतीं हैं ,
तलवार और ,
लड़ती हैं अन्याय के खिलाफ ,
अन्तिम साँस तक ।
मछलियाँ पातीं हैं
विजय और ,
रच देतीं हैं
एक नया इतिहास ।
घुटन सी महसूस करती हैं ।
जलाशय में कुछ
मगरमच्छ घुस आयें हैं ।
मछलियाँ , उठा लेतीं हैं ,
तलवार और ,
लड़ती हैं अन्याय के खिलाफ ,
अन्तिम साँस तक ।
मछलियाँ पातीं हैं
विजय और ,
रच देतीं हैं
एक नया इतिहास ।
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