आदेश कुमार पंकज : वन्दना

माँ मुझे वन्दना स्वर दोमाँ मुझे वन्दना स्वर दो
चाहता हूँ विनती करना , पर शब्द मिलतें हैं नहीं
अब तो आकर आप ही शब्दों का मुझे अम्बार दो
माँ मुझे वन्दना स्वर दो .....................................
मैं निरा छल-दम्भ और , अभिमान से परिपूर्ण हूँ
अविवेक का तुम नाश कर मुझको भी माँ जी ज्ञान दो
माँ मुझे वन्दना स्वर दो ......................................
मैं हूँ अकेला मात मेरी , सहारा कोई इस जगत में
गिर रहा हूँ मात मेरी मुझको संभालों अंक दो
माँ मुझे वन्दना स्वर दो .....................................
चारों तरफ दुर्दिन हैं छाये , हैं घिरीं काली घटायें
अपनी दया भावना से माँ जीवन उज्जवल कर दो
माँ मुझे वन्दना स्वर दो ..................................
दिग् भ्रमित हो गया हूँ , निज पथ से मात मेरी
निर्द्वन्द हो उड़ता चलूँ मुझको दिशा दो पंख दो
माँ मुझे वन्दना स्वर दो ...............................
कभी भूलूँ मैं द्वार तेरा , गाऊँ सदा गुण गान तेरा
गीत लय ताल मुझमें नहीं आओ मुझे गी का तार दो
माँ मुझे वन्दना स्वर दो .....................................
तीनों लोकों में महिमा न्यारी , हर कोई माँ शरण तुम्हारी
आँचल फैलाये द्वार हूं माँ मेरा आँचल भर दो
माँ मुझे वन्दना स्वर दो ...........................................
चाँद , तारे और नभ यह , अब प्रफुल्लित हैं नहीं
घनघोर तम् का नाश कर माँ रवि उगा पंकज खिला दो
माँ मुझे वन्दना स्वर दो ....................................





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