चंदा मामा : आदेश कुमार पंकज
नील गगन में चंदा मामा ,
हमको बहुत सुहाता है ।
कभी बहुत ही छोटा होकर ,
यह बच्चा सा बन जाता है ।
कभी फ़ैल जाता है इतना ,
हम सबका दादा लगता है ।
स्वच्छ चाँदनी लाता है ।
नील गगन में चंदा मामा ,
हमको बहुत सुहाता है ।
हमको बहुत सुहाता है ।
कभी बहुत ही छोटा होकर ,
यह बच्चा सा बन जाता है ।
कभी फ़ैल जाता है इतना ,
हम सबका दादा लगता है ।
इसके बढने घटने का जादू ,
कोई समझ नहीं पाता है ।
कोई इसको देवता माने ,
खंडहर कोई बताता है ।
कोई समझ नहीं पाता है ।
कोई इसको देवता माने ,
खंडहर कोई बताता है ।
हवा नहीं पानी न इस पर ,
यह विज्ञानं बताता है ।
चंदा मामा को अम्बर में ,
सूरज ही चमकाता है ।
कुछ भी हो पर चंदा मामा ,यह विज्ञानं बताता है ।
चंदा मामा को अम्बर में ,
सूरज ही चमकाता है ।
स्वच्छ चाँदनी लाता है ।
नील गगन में चंदा मामा ,
हमको बहुत सुहाता है ।
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