मुक्तक :आदेश कुमार पंकज

चीर कर वक्ष देख आओ , व्योम का आधार क्या है
नाप कर उर देख आओ , धरा का आकर क्या है
तुम युग के सूरज हो , युग मानव हो ,
झाँककर तुम देख आओ क्षितिज के उस पर क्या है


तुम यदि ठान लो , तो सूर्य अश्वों का मुँह मोड़ सकते हो
तुम यदि ठान लो , तो मदमस्त तूफ़ान को भी रोक सकते हो
तुम भरत- पुत्र हो , अपने को पहचानो ,
चाँद करे यदि गददारी , तो राहू को चाँद बना सकते हो

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