दोहा : आदेश कुमार पंकज

पंकज बाती प्रेम की , शिखा दया सी होय
ऐसा दीपक जब जले , अन्त निशा का होय
देने वाला है दे रहा ,दोनों हाथ पसार
पंकज उतना ही पायेगा , जितनी है तेरी सार

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