मुक्तक



 शूल भी क्या फूल भी सब कँटीले हो गये  |
डालियों पर जो लगाये फल कसैले हो गये  |
बात किसकी अब करूँ आदमी या जानवर की ,
आदमी तो जानवर से भी विषैले हो गये   |

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