जय सरस्वती माँ

मौन पराजय - बोध कभी हो , मुझ में भी ऐसा बल हो ।
ऐसी शक्ति ,भक्ति दे दो माँ , मुझमे तेरा संबल हो ।।
दीन - दुखी कहीं न कोई हो , न तो कहीं अब निर्बल हो ॥
जगती की कर्ता - हर्ता हो , तुम ही तो सबका हल हो

टिप्पणियाँ

  1. दो माता ऐसा वर मुझको,
    रहे लेखनी सदा सरस!

    शोभामय हों सब रचनाएँ,
    सबमें बसे तुम्हारा जस!

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