मुक्तक

बदलते हुए परिवेश में , जरा देश देखिये  |
फैशन रहा है बोल  ,    जरा केश देखिये  |
मखमली सेज पर महलों में सो रहे हैं जो,
वह दे रहें हैं युद्ध का  ,  आदेश देखिये  |

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