मुक्त्तक
महाभारत होना तो निश्चित है , अर्जुन को गाण्डीव उठाना होगा |
रण बीच खड़ा जब दुश्मन हो , तो शंखनाद करना होगा |
जब कपट खेल खेलना , चाहता हो काल ,
तो कैलाश छोड़ शंकर को , धरती पर आना होगा |
सदिंयों से हम छमा दिखातें आयें हैं |
खुलें हृदय से प्यार लुटाते आयें हैं |
कोरी उदारता जब कायरता बन जाये ,
तो मर्यादा छोड़ , त्रिशूल चलाना होगा |
बहुत बढ़िया मुक्तक आदेश जी.............."
जवाब देंहटाएंप्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
कोरी उदारता जब कायरता बन जाये ,
जवाब देंहटाएंतो मर्यादा छोड़ , त्रिशूल चलाना होगा |
बिलकुल सही कहा। बहुत अच्छा है मुक्तक। बधाई