तू पथ पर अपने चलता चल | मंजिल को पास बुलाता चल | सभी समस्याओं का मिलकर , बात -चीत से निकले हल | कैसी भी हो आग भयानक , कर सकते हो तुम शीतल | मंदिर हो या गुरुद्वारा हो , शीश झुका दें गंगा जल | चंदा -तारों से हम सीखें , कैसे रहते हैं यह हिलमिल | निश्वार्थ भाव से नदिया कैसे , कल-कल कर बहती अविरल | भेद न करती भारत माँ है , सब पर फैलाये अपना आँचल | पंकज द्वैष-भावना त्यागो , जीवन बन जायेगा परिमल |
अनार अति गुणकारी!!
जवाब देंहटाएंख़ून और भी होगा लाल - खाओगे यदि लाल अनार!
जवाब देंहटाएंओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, रंग-रँगीली शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", उर्दू कौन सी भाषा का शब्द है?
संपादक : "सरस पायस"
आपके ब्लॉग के सभी फ़ॉण्ट बहुत बड़े आकार में दिखाई देते हैं!
जवाब देंहटाएंइन्हें छोटा करने की कृपा कीजिए!