गाँधी का अर्थ

जाने कितने कष्ट उठाकर ,
बापू ने गाँधी नाम कमाया ।
एक लगौंती , एक लाठी से,
भारत को आजाद कराया ।
बापू तुम तो सदा रहे थे ,
तन और मन दोनों से सच्चे ।
पर आज यहाँ के मानव देखो,
तन और मन दोनों के कच्चे ।
बापू की तस्वीरें लगीं हुई ,
हैं , सरकारी दरबारों में ।
रोज़ हारता सत्य जहाँ पर
हिंसा होती बाज़ारों में ।
राजा और प्रजा सब अपने को
गाँधी का वंशज कह्ते है ।
अन्याय, अनीति दुराचार से,
गाँधी को शर्मिंदा करतें हैं ।
गाँधी का देखो नाम यहाँ पर
भ्रस्टाचार का पर्याय बन गया ।
देश जहाँ भी जाए जाने दो ,
घर भरना उद्देश्य रह गया ।
मत दुरुपयौग करो गाँधी का
गाँधी की आत्मा रोएगी ।
तेरीं पीढियाँ तेरी करनी पर
हर युग में शर्मायेगीं ।
पहले आचरण शुद्ध करों
तब गाँधी कहलाओगे ।
देश हितों का ध्यान रखोगो
तो महात्मा गाँधी बन जाओगे ।




टिप्पणियाँ

  1. ऐसा गाँधी आज कौन बनना चाहता है ...??

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  2. देश के दो लाल...एक सत्य का सिपाही...दूसरा ईमानदारी का पुतला...लेकिन अगर आज गांधी जी होते तो देश की हालत देखकर बस यही कहते...हे राम...दूसरी ओर जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री जी भी आज होते तो उन्हें अपना नारा इस रूप मे नज़र आता...सौ मे से 95 बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान...

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  3. बहुत खुब लिखा है आपने। सच्चाई को दर्शाती सुन्दर रचना। बहुत-बहुत बधाई........

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