मानसी गुप्ता की बाल कविता ; तितली


रं बिरंगी प्यारी तितली ,
मेरे घर में आती है
संग खेलती है वह मेरे ,
मीठे गीत सुनाती है
क्ष्रण में दूर चली जाती है ,
क्ष्रण में पास , वह जाती है
फूलों का रस चूस चूस कर ,
मीठा शहद पिलाती है

टिप्पणियाँ

  1. सुंदर प्रयास है!

    रचनाकार को मेरा आशीष
    और
    इससे भी अच्छी रचनाएँ
    रचने के लिए शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ग़ज़ल

दोहा