जय सरस्वती माँ
मौन पराजय - बोध कभी हो , मुझ में भी ऐसा बल हो ।
ऐसी शक्ति ,भक्ति दे दो माँ , मुझमे तेरा संबल हो ।।
दीन - दुखी कहीं न कोई हो , न तो कहीं अब निर्बल हो ॥
जगती की कर्ता - हर्ता हो , तुम ही तो सबका हल हो ॥
ऐसी शक्ति ,भक्ति दे दो माँ , मुझमे तेरा संबल हो ।।
दीन - दुखी कहीं न कोई हो , न तो कहीं अब निर्बल हो ॥
जगती की कर्ता - हर्ता हो , तुम ही तो सबका हल हो ॥
दो माता ऐसा वर मुझको,
जवाब देंहटाएंरहे लेखनी सदा सरस!
शोभामय हों सब रचनाएँ,
सबमें बसे तुम्हारा जस!