चाहता हूँ----------.

चाहता हूँ ,उन्मुक्त उड़ना मैं यहाँ ,क्या करुँ ऐसा गगन मिलता नहीं
चाहता हूँ , मैं खिलाना पुष्प मधु के ,क्या करुँ ऐसा चमन मिलता नहीं
चाहता हूँ , गीत गाना एकता के ,क्या करुँ ऐसा वतन मिलता नहीं
चाहता हूँ , पीर लिखना मैं हृदय की ,क्या करुँ, ऐसा अमन मिलता नहीं
चाहता हूँ , साधना करना यहाँ पर , क्या करुँ निर्जन कहीं मिलता नहीं
चाहता हूँ ,प्रीत करना मैं किसी से ,क्या करुँ ऐसा हृदय मिलता नहीं
चाहता हूँ , मैं छिपाना हर अंग को , क्या करुँ ऐसा वसन मिलता नहीं
चाहता हूँ ,प्राप्त करना मैं अमरता ,क्या करुँ ऐसा मरण मिलता नहीं
चाहता हूँ , मैं बताना निज व्यथा को ,क्या करुँ ऐसा सुजन मिलता नहीं
चाहता हूँ , मैं चढाना पुष्प तुमको , क्या करुँ ऐसा सुजन मिलता नहीं
चाहता हूँ , खेलना चहुँओर आँगनमें , क्या करुँ बचपन कहीं मिलता नहीं
चाहता हूँ , मैं पहुचना क्षितिज के उस पर , क्या करुँ ऐसा गमन मिलता नहीं
चाहता हूँ , पहचानना निज बिम्ब को , क्या करुँ ऐसा सुदर्पण मिलता नहीं
चाहता हूँ , मैं सजाना हर द्वार को , क्या करुँ ऐसा भवन मिलता नहीं
चाहता हूँ , मैं बनाना एक चित्र सुंदर , क्या करुँ ऐसा आकर्षण कहीं मिलता नहीं
चाहता हूँ , क्रांति लिखना रक्तिम स्याही से , क्या करुँ ऐसा कलम मिलता नहीं

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