गज़ल

आप मुझसे क्यों हैं रूठें , क्या खता है हो गयी |    
बिन बताये ही मुझे वह , क्यों सजा है दे गयी |
आप यदि कहते मुझे तो , एक पग पर नाचता ,,
पर बेरुखी यह इस तरह , बेबफा क्यों हो गयी |
चाँद - सूरज और तारे , रख दूँ तेरे हाथ पर मैं ,,
पर बता तू इस तरह ,मुझसे जुदा क्यों हो गयी |
संसार की हर चीज़ मैंने , ला रखी तेरे सामने ,,
पंकज बता फिर वह मुझे ,क्यों दगा है दे गयी |

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ग़ज़ल

दोहा